इस दिन सरस्वती माता की पूजा की जाती है हम उनकी प्रतिमा को अपने घर में लाते हैं माता जिनके हाथों में वीणा पुस्तक माला और जो सफेद कमल या हंस पर विराजमान होती हैं और स्वीट बूस्ट ही धारण किए हुए होती हैं।
अगर बात करें माता की दिव्य दर्शन के बारे में तुम मां दुर्गा के द्वितीय स्वरूप ब्रह्मचारिणी माता को ही देवी सरस्वती का रूप माना जाता है, आमतौर पर हम प्रतिमाओं और तस्वीरों में देखते हैं,की वह स्वेत या पीले रंग के वस्त्र धारण किए हुए है। उनके मुख पर एक अलग सी प्रतिभा या आभा विराजमान होती है।और कमल या हंस पर विराजमान मां अपने हाथों में वीणा धारण कर हुए होती है।तो चलिए जानते है क्या है मां के हांथ में वीणा, अक्ष माला,पुस्तक और वाहन सफेद हंस पर विराजमान होने का राज।
माता सरस्वती के हाथों में वीणा होने का रहस्य
माता के हाथों में वीणा का प्रतीक होने का रहस्य बहुत ही पुराना है। वीणा को माता के साथ जोड़ा जाता है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि जब सृष्टि में देवी का आगमन नहीं हुआ था तब पूरी सृष्टि शब्द विहीन और नि:स्वर थी। परंतु जैसे ही देवी का आगमन हुआ तब उन्होंने अपने वीणा के तारों को झंकृत किया तो नदियों और पक्षियों में भी स्वर गूंजने लगे और शांत सी सृष्टि में भी स्वर्ग की लहर बहने लगी।
इस प्रकार, माता सरस्वती के हाथों में वीणा का रहस्य संस्कृति और ज्ञान के गहरे संदेश को संजीवनी शक्ति के रूप में उजागर करता है। क्योंकि यह संगीत और विद्या का प्रतीक है। संगीत की वीणा के माध्यम से विद्या का संदेश भी फैलाया जाता है। इससे संगीत और विद्या के बीच की गहराई को संकेतित किया जाता है।
माता सरस्वती के हाथों में वीणा होने का रहस्य
माता के हाथों में पुस्तक होने का रहस्य विद्या, ज्ञान, और शिक्षा के प्रतीक है। क्योंकि पुस्तक तो ज्ञान का भंडार होती है और कहा जाता है कि सृष्टि का संपूर्ण ज्ञान वेदों में छुपा है माता सरस्वती जो ज्ञान की मूर्ति है मैं वेदों को अपने हाथों में धारण करती हैं, इस जैन विद्यालय में सभी बच्चे अपनी पुस्तकों की भी पूजा करते हैं क्योंकि ऐसा माना जाता है कि माता सरस्वती की अगर कृपा हो तो कठिन से कठिन शब्द भी सरल लगने लगता है।
और साथ ही माता के हाथों में पुस्तक होने का एक रहस्य भी है, की पुस्तक न केवल ज्ञान का भंडार होती हैं बल्कि हमारे विचारों के आदान-प्रदान में भी मदद करती हैं। जो सामाजिक और सांस्कृतिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
स्वेत वस्त्र धारण करने का रहस्य
माता का स्वेत वस्त्र धारण करने के रहस्य के पीछे माना जाता है, की स्वेत रंग ज्ञान, शांति और पवित्रता का प्रतीक होता है सरस्वती माता के द्वारा धारण किए गए स्वेत वस्त्र हमें विद्या और संवेदनशीलता की ओर ले जाते हैं। और ऐसा कहा जाता है कि सृष्टि में ज्ञान विज्ञान और जितनी भी विद्याएं हैं। सबकी माता देवी सरस्वती ही है, वही ज्ञान की प्रकाष्ठा हैं इसीलिए इस रंग पर कोई सांसारिक रंग नहीं चढ़ जाए माता सरस्वती शांति और शुद्धि का प्रतीक स्वेत वस्त्र धारण करती हैं।
क्यों हैं माता सरस्वती का वाहन हंस
माता की बहन हम सोने के पीछे बहुत सी पौराणिक कथा में जुड़ी हुई है उनमें से एक है, की एक बार ब्रह्मा ने स्वर्ग में एक अत्यंत सुंदर हंस बनाया था। उसका नाम हंसवाहिनी था। एक दिन ब्रह्मा के आदेश के अनुसार हंसवाहिनी ने माता महालक्ष्मी, पार्वती और सरस्वती को स्वर्ग से धरती पर भेजा। माता सरस्वती ने हंस को अपने वाहन के रूप में चुना। हंस को चुनने का कारण था कि हंस प्राकृतिक शांति, बुद्धि और ध्यान के प्रतीक है। और इसी प्रकार, हंस सरस्वती माता के वाहन के रूप में प्रसिद्ध हुआ।